लेखनी कविता -13-May-2022 मनुष्य जीवन अनमोल रे
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-"मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल रे"(गीत)
छियासी (86)करोड़ योनि भोगी,
जब मिला जन्म रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन,
''बड़ा अनमोल रे"
अब तो मिट्टी में ना घोल रे,
जीवन का है बड़ा रोल रे।
अब तो भोर हो गया रे,
अब तू उठ रे,
जीवन का समझ मोल रे,
अब तू बन मोती रे,
मोती होता अनमोल रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
मेहनत सबसे अच्छा गुण रे,
आलस है सबसे बड़ा दुर्गण ,
जीवन का करो तुम उपयोग,
जीवन है किमती प्यारे,
अब तो इसको समझ लें,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
जब अलसा जाएगा सुबह,
जागकर भी छा जाएगा अंधेरा,
पक्षियों का गीत रे,
बड़ा ही मस्ताना रे।
नदियों का मिलन रे,
बनता है संगम ये,
इन ठंडी हवाओं से,
मौसम बड़ा सुहाना रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
''बड़ा अनमोल रे"
जिंदगी की बेला में,
अब तुम करो सेवा रे,
इतना करो पुण्य रे,
प्यासे की प्यास बुझाओ रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
तेज करो जीवन की रफ्तार रे,
नहीं तो पार्थिव मिल जाएगा मिट्टी में,
हाथ मलता रह जाएगा रे,
फिर कुछ नहीं मिलेगा रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
जीवन में न लगा विराम रे,
जीवन में कर तू मनन रे,
आगे बढ़ता जा रे,
दिखा रहा है रास्ता,
अब कर तू जीवन में अमल रे ,
जिंदगी का हर पल अनमोल रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
अब तू बन सजीव रे,
ना बन तू निर्जीव रे,
बन तू जीवन में क्रियाशील रे,
बन तू अब विवेकशील रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
जीवन की हर यात्रा रे,
पथ है बड़ा कांटिला,
ना कर तू अब वासना रे,
जीवन में है बहू लालसा रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
"बड़ा अनमोल रे"
(86)छियासी करोड़ की योनि भोगी,
जब मिला जन्म रे,
इसी वजह से मनुष्य जीवन।
\'बड़ा अनमोल रे"
Seema Priyadarshini sahay
14-May-2022 06:32 PM
बहुत खूबसूरत
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Zakirhusain Abbas Chougule
14-May-2022 03:17 PM
Nice
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Anam ansari
14-May-2022 09:25 AM
Nice
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